
कॉमन योग प्रोटोकॉल चौथा आसन : अर्ध चक्रासन
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का चौथा आसन : अर्ध चक्रासन
अर्ध चक्रासन (Half Wheel Pose)
- अर्ध चक्रासन दो शब्दों से मिलकर बना है।
- अर्ध का अर्थ आधा तथा चक्र का अर्थ पहिया होता है।
- इस आसन को करते समय शारीरिक स्थिति आधे चक्र जैसी हो जाती है। इसलिए इस आसन को अर्ध चक्रासन कहते हैं।
अभ्यास विधि
- सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं
- दोनों पैरों के मध्य दो से तीन इंच का अंतर रखें
- दोनों हाथों से कमर को इस प्रकार पड़े की अंगूठे पीछे की तरफ और चार उंगलियां पेट की तरफ रहें
- श्वास भरते हुए गर्दन और कमर को पीछे की तरफ झुकाए
- स्वास्थ्य सामान्य रक्त में 10 से 15 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें
- श्वास लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में आ जाए
कौन न करें!
- माइग्रेन, सिरदर्द, चक्कर आना, कमर और गर्दन में अधिक दर्द, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, हर्निया आदि समस्याओं में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था और माहवारी के समय भी शासन का अभ्यासना करें।
ध्यान रखें
- इस आसन के प्रारंभ में अधिक पीछे झुकना और अधिक लंबे समय तक रुकने का प्रयास न करें ।
- सर चकराने, चक्कर आने या असहज महसूस होने पर तुरंत श्वसन का अभ्यास करना चाहिए।
विशेष
- प्रारंभ में इस आसन का अभ्यास किसी अच्छे योग्य योग प्रशिक्षक के सानिध्य में ही करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं?
- इस आसन अर्ध ऊर्ध्व धनुरासन भी कहा जाता है।
- यह आसन नए अभ्यासियों के अच्छा माना गया है।
- इस आसन को चक्रासन (Chakrasana) का ही वेरिएशन माना जाता है।
लाभ
- गर्दन, कमर में पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है।
- सर्वाइकल स्पॉन्डलोसिस, डिस्क एवं अन्य मेरुदंड से संबंधित रोगों में यह बहुत लाभकारी है।
- श्वास रोगों में फायदेमंद है।
- फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है।
- पिट्यूटरी और थायराइड ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
- कंधे और छाती का विस्तार होता है।

✍️ लेखक परिचय:
डा. धर्मवीर योगाचार्य
असिस्टेंट प्रोफेसर – योग विभाग, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर (रेवाड़ी)
10+ वर्षों से योग व प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय, लेखक एवं प्रेरक वक्ता
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